भगवान का अस्तित्व है V/s भगवान का कोई अस्तित्व नहीं होता

भगवान का अस्तित्व है V/s भगवान का कोई अस्तित्व नहीं होता

दोस्तों  कई लोग भगवान को नहीं मानते। उनके लिए विज्ञान ही सबसे बड़ा प्रमाण है — “अगर भगवान सच होते, तो हर जगह भलाई होती, दुख-दर्द क्यों होते?”
कुछ लोग कहते हैं, “मैंने भगवान को कभी देखा ही नहीं, महसूस ही नहीं किया। जो सामने नहीं, उसे मान कैसे लें?” में लिख कर देता हु भगवान् का कोई अस्तित्व नहीं होता ऐसा कहने वाले भी कहीं न कहीं भगवान् के अस्तित्व को मानते है 


दूसरी तरफ, जो मानते हैं, उनके जवाब का अंदाज बिल्कुल अलग होता है।
मेरे दोस्त गौरव ने खुद मुझसे कहा — “मैं गुनाहों में था, मुश्किलें थीं। एक दिन पापा की ज़िंदगी खतरे में थी, डॉक्टर ने जवाब दे दिया। मैंने पहली बार बहुत गहरे दिल से भगवान से दुआ की और अगले दिन चमत्कार हुआ, पापा ठीक हो गए। तभी से मेरा भरोसा बढ़ा — भगवान सच में हैं!”

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मेरे ही जैसे कई लोग हैं —


रितेश अगर्वाल ने अपने ब्लॉग में लिखा, “जब ज़िंदगी में सब उलझा था, तब मैंने भगवान से मन ही मन बात की। कोई साक्षात् उत्तर नहीं मिला, मगर वह एहसास, वह शांति…वही मेरा जवाब था। आज भी भगवान को महसूस करता हूं — नज़र नहीं आते, पर उनकी मौजूदगी का अहसास हर वक्त रहता है।

मैं खुद atheist था, भगवान को झूठ मानता था। पर जब मैंने भारत के शिव मंदिरो की यात्रा शुरू की और धीरे धीरे सभी मंदिरो में जा कर वहां के वातावरण में घुला मिला तब मुझे वहां अजीब सी ऊर्जा मिली, उसने मेरा नजरिया बदल दिया। दुनिया को सही नजर से देखने लगा, अब भगवान का नाम सुनकर मुस्कुराता हूं। पहले मीट मांस का बहोत शौक़ीन  था अब उसे देखने तक का मन नहीं करता 

थॉमस ओर्ड लिखते हैं — “मैने जीवन में कई बार भगवान को खोजा, कभी मिला नहीं। पर जब मैंने खुद से सवाल किए — जिंदगी का अर्थ क्या है, प्यार की गहराई कहां से आती है — तब लगा कोई तो है जो यह सब दे रहा है।

कैरोल अर्नॉट कहती है — “मुश्किल समय में मुझे 23वें Psalm की आवाज सुनाई दी। लगा भगवान मुझसे खुद कह रहे हैं ‘मैं तुम्हें बिना शर्त चाहता हूं’। तबसे मेरा दिल बदल गया।

जब इंसान बिल्कुल हार जाता है, तब भगवान की मुराद पूरी होने से दिल खुद-ब-खुद मान जाता है। प्यार, शांति, या पूरी काया में बदलाव; कुछ न कुछ ऐसा हर आदमी ने महसूस किया है जो तर्क से बाहर है।  बिलकुल अपनेपन वाली भाषा में किसी ने कहा — “जब अकेला महसूस करता हूं, तो भगवान से बात कर लेता हूं। जवाब शाब्दिक नहीं, मगर सुकून सच में मिलता है।”

ना मानने वाले क्या कहते हैं?

मैंने कभी भगवान को देखा नहीं — बस यही वजह है कि नहीं मानता। अगर भगवान होते, तो हर प्रार्थना पूरी होती।

कई लोग यह मानते हैं कि जब किसी का अपना कुछ छिन जाता है या जब कोई मुश्किल में होता है  या जब बहुत खुशी मिलती है , उस समय किसी बहुत बड़ी शक्ति का हाथ होता है। भगवान को मानना सिर्फ किताबों या चर्चाओं की बात नहीं, यह दिल से महसूस करने का अनुभव है।

यह सवाल कि “भगवान हैं या नहीं” — इसका जवाब दिमाग नहीं देता, दिल देता है।
कई लोगों की असल जिंदगी और उनके अनुभव यही चीख-चीख कर कहते हैं कि भगवान हैं — बस उनकी पहचान और महसूस करने का तरीका हर व्यक्ति का अपना होता है।
शब्दों से ज्यादा एहसास मायने रखते हैं — और उसी एहसास की वजह से लाखों लोग आज कहते हैं — “भगवान हैं — उनकी मौजूदगी अनुभव होती है।

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रिसर्च क्या कहती है? (2025 के शोध निष्कर्ष)

  • 2025 की रिसर्च के अनुसार, दुनिया में बड़ी आबादी भगवान में विश्वास करती है.

  • अमेरिका जैसे आधुनिक देशों में भी पिछले 4 वर्षों में भगवान में व्यक्तिगत विश्वास बढ़ा है, खास तौर पर युवा पीढ़ी में.

  • अभी हाल ही में प्रसिद्ध वैज्ञानिकों ने भी ब्रह्मांड की ‘फाइन-ट्यूनिंग’ और गणितीय समीकरणों से भगवान के अस्तित्व की संभावना जताई है.

  • Bayesian Probability जैसी सांख्यिकीय गणनाओं के अनुसार विभिन्न वैज्ञानिक साक्ष्यों को जोड़कर देखा जाए तो भगवान के अस्तित्व की संभावना लगभग 82% तक निकलती है.

भले ही भगवान के अस्तित्व का प्रत्यक्ष अनुभव हर किसी को न हुआ हो, लेकिन आध्यात्मिक, तर्क-बुद्धि और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो यह स्पष्ट होता है कि कुछ ऐसा तो है जो इस पूरी सृष्टि को, हमें और हमारे अनुभवों को नियंत्रित करता है।

तो अगली बार जब कोई पूछे “क्या भगवान हैं?”, तो न सिर्फ खुद की भावना, बल्कि विज्ञान और आधुनिक शोध भी इस प्रश्न का उत्तर “हाँ” में देते दिखाई देते हैं.

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