जब भी हम भगवान शिव के ताण्डव की बात करते हैं, तो हमारे मन में एक ऐसी छवि उभरती है जिसमें सृजन और विनाश दोनों साथ दिखाई देते हैं।
शिव का ताण्डव केवल नृत्य नहीं है — यह ब्रह्मांड की गति, लय और संतुलन का प्रतीक है।
“शिव ताण्डव स्तोत्रम्” इसी दिव्य ताण्डव का काव्यात्मक रूप है, जिसे लंका के राजा रावण ने लिखा था।
किंवदंती के अनुसार, रावण भगवान शिव का अनन्य भक्त था। कहा जाता है कि एक बार उसने अपनी शक्ति दिखाने के लिए कैलाश पर्वत को ही उठा लिया।
शिवजी ने मात्र अपने पैर के अंगूठे से पर्वत दबा दिया, जिससे रावण का हाथ नीचे फँस गया।
उस तीव्र पीड़ा के क्षण में भी रावण के मुख से जो स्तुति निकली, वही आज “शिव ताण्डव स्तोत्र” के नाम से जानी जाती है।
यह स्तोत्र केवल भक्ति नहीं है — यह ध्वनि, लय, और ऊर्जा का ऐसा संगम है जो हर बार सुनने या पढ़ने पर शरीर में एक अद्भुत कंपन पैदा करता है।
संस्कृत के प्रत्येक शब्द में शक्ति का अनुभव होता है, और प्रत्येक पंक्ति में भगवान शिव के रूप, राग और रौद्र भाव का वर्णन है।
Gen Z आध्यात्मिक है या नास्तिक?
श्लोक 1
संस्कृत:
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुंगमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥
हिन्दी अर्थ:
जटाओं से बहती हुई गंगा के जल से जिनका ग्रीवा प्रदेश पवित्र हो रहा है,
जिनके गले में ऊँचे फन वाले सर्पों की माला शोभा पा रही है,
जो डमरू के डम-डम नाद के साथ उग्र ताण्डव करते हैं —
ऐसे शिव हमें शुभता प्रदान करें।
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English Translation:
May Lord Shiva — whose neck is purified by the flowing waters of the Ganga from his tangled hair,
who wears a garland of great serpents around his neck,
and who performs fierce Tandava with the resounding sound of the damaru —
bless us with auspiciousness.
श्लोक 2
संस्कृत:
जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिंपनिर्झरी-
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥
हिन्दी अर्थ:
जिनके सिर पर जटाओं में बहती गंगा की लहरें नृत्य कर रही हैं,
और जिनके ललाट पर प्रज्वलित अग्नि धधक रही है,
जो बालचन्द्र को मुकुट के रूप में धारण करते हैं —
ऐसे शिव में मेरा मन निरंतर रम जाए।
English Translation:
May my mind find constant delight in Lord Shiva,
whose matted hair holds the waves of the sacred Ganga,
whose forehead blazes with fire,
and who wears the crescent moon as an ornament.
श्लोक 3
संस्कृत:
धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
हिन्दी अर्थ:
जो पार्वती (धराधरेन्द्रनन्दिनी) के प्रिय हैं,
जिनका आनंद सम्पूर्ण दिशाओं में फैला हुआ है,
जिनकी कृपादृष्टि से सभी कठिनाइयाँ शांत हो जाती हैं —
ऐसे दिगम्बर शिव में मेरा मन रम जाए।
English Translation:
May my mind find joy in that eternal Digambara (clad in space),
the beloved of Parvati,
whose compassion removes all suffering,
and whose bliss pervades all directions.
श्लोक 4
संस्कृत:
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥
हिन्दी अर्थ:
जिनकी जटाओं में सर्पों के फणों के मणि चमक रहे हैं,
जिनके शरीर पर सिंदूर का लेप है,
जिनका वस्त्र हाथी की चमड़ी है —
ऐसे भूतों के स्वामी शिव मेरे मन को अद्भुत आनंद दें।
English Translation:
May the Lord of all beings, whose matted hair shines with serpent jewels,
whose body is anointed with red sandal paste,
and who wears an elephant hide,
bring divine joy to my heart.
श्लोक 5
संस्कृत:
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर-
प्रसूनधूलिधोरणीविधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटकः
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥
हिन्दी अर्थ:
जिनके चरणकमलों पर देवराज (इन्द्र) और अन्य देवता फूलों की धूल चढ़ाते हैं,
जो सर्पों की माला से जटाओं को बाँधते हैं,
जो चंद्रमा को मुकुट में धारण करते हैं —
वे शिव हमें सदा सौभाग्य प्रदान करें।
English Translation:
May Lord Shiva — whose feet are worshipped with the dust of divine flowers by gods like Indra,
whose hair is adorned with a garland of serpents,
and who wears the moon on his head —
grant us eternal prosperity.
श्लोक 6
संस्कृत:
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा-
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिंपनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महा-कपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥
हिन्दी अर्थ:
जिनके ललाट से अग्नि की ज्वालाएँ निकलती हैं,
जिनसे कामदेव भस्म हो गया,
जो चन्द्रमा की किरणों से सुशोभित हैं —
ऐसे महाकपालधारी शिव हमें कल्याण दें।
English Translation:
May that great lord, whose forehead emits blazing sparks that consumed Kama,
whose head shines with the crescent moon,
and who is the wielder of the skull —
bless us forever.
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श्लोक 7
संस्कृत:
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनञ्जयाधरिक्षिप्तपञ्चसायकं हरे ।
हिन्दी अर्थ:
जिसने अपने माथे की अग्नि में कामदेव की आहुति दी, जो पार्वती के कुचाग्र पर सजावटी रेखाओं का एकमात्र कलाकार है, उस त्रिलोचन शिव में मेरी रुचि है।
English Translation:
My interest is in Shiva, who has three eyes, who offered Kāma into the fire flaming on his forehead, and who is the sole artist of drawing decorative lines on Pārvatī’s bosom.
श्लोक 8
संस्कृत:
नवीनमेघमण्डलीनिरुद्धदुर्धरस्फुरत्कुहूनिशीथिनीतमःप्रबन्धबद्धकन्धरः निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरन्धरः॥8॥
हिन्दी अर्थ:
चर्मधारी, गंगाधर, बादलों से ढकी अमावस्या की अर्धरात्रि जैसी काली गर्दन वाले, जगत् का भार धारक उस अर्धचन्द्रधारी शिव से समृद्धि की कामना है
English Translation:
May the bearer of Gaṅgā, the wearer of elephant hide, with a neck bound by the darkness of new-moon midnight and adorned by the moon, the supporter of the world, extend auspicious prosperity.
श्लोक 9
संस्कृत:
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभावलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदान्धकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे॥9॥
हिन्दी अर्थ:
जिसके कण्ठ की आभा प्रस्फुटित नीलकमलों-सी है, जो कामदेव, त्रिपुर, संसार-बन्धन, दक्ष-यज्ञ, गजासुर, अन्धक और यम का भी अंत करता है, उस शिव की आराधना है।
English Translation:
I worship Shiv whose neck bears the dark lustre of full-bloomed blue lotuses, who destroyed Kāma, Tripura, worldly bondage, Dakṣa’s sacrifice, Gajāsura, Andhaka, and who overpowered Yama
श्लोक 10
संस्कृत:
अखर्वसर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरीरसप्रवाहमाधुरीविजृम्भणामधुव्रतम् स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे॥10॥
हिन्दी अर्थ:
जो कदंब-मंजरियों के मधुर पराग से आकर्षित मधुव्रतों से घिरा रहता है, और काम, त्रिपुर, संसार-बन्धन, यज्ञ, गजासुर, अन्धक और यम का अंत करने वाला है, उसकी वंदना है।
English Translation:
I adore Śhiva, around whom bees hum for the sweet nectar of auspicious Kadamba blossoms, who ends Kāma, Tripura, worldly existence, the sacrifice, Gajāsura, Andhaka, and even the Ender (Yama).
श्लोक 11
संस्कृत:
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वसद्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गलध्वनिक्रमप्रवर्तितप्रचण्डताण्डवः शिवः॥11॥
हिन्दी अर्थ:
मृदंग की मंगल ध्वनि की लय पर जिनका प्रचण्ड ताण्डव विस्तार पाता है, आकाश में विचरते सर्प की फुफकार से जिनके ललाट की अग्नि दहकती फैलती है, वे शिव विजयश्री पाएं
English Translation:
May ŚHiva be victorious whose fierce Tāṇḍava unfolds to the auspicious rhythm of the mṛdaṅga, while the breath of the whirling serpent fans the blazing fire on his formidable forehead.
श्लोक 12
संस्कृत:
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोरगरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समप्रवृत्तिकः कदा सदाशिवं भजाम्यहम्॥12॥
हिन्दी अर्थ:
पत्थर और सुंदर शय्या, सर्प और मोतियों की माला, बहुमूल्य रत्न और मिट्टी का ढेला, मित्र और शत्रु, तृण-सम तथा कमल-सम नेत्र, प्रजा और महाराज—इन सबमें समदृष्टि रखते हुए सदाशिव की आराधना कब संभव होगी।
English Translation:
When will worship of Sadāśiva arise with equal vision toward stone or fine couch, snake or pearl-garland, precious gem or clod, friend or foe, grass-like eyes or lotus-like eyes, subjects or emperor
श्लोक 13
संस्कृत:
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन् विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमञ्जलिं वहन् विलोललोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मन्त्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम्॥13॥
हिन्दी अर्थ:
कब गंगा-तट के निकुंज में निवास, शिर पर अंजलि, विपथ-विचारों से मुक्त चित्त और शिव-मंत्रोच्चार के साथ तिलक लगाकर स्थिर सुख की उपलब्धि होगी।
English Translation:
When will there be happiness—dwelling in a grove by Gaṅgā, bearing folded hands on the head, freed from wrong thoughts, eyes steady, sacred mark on the brow, and uttering the mantra
श्लोक 14
संस्कृत:
इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेति सन्ततम् हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिन्तनम्॥14॥
हिन्दी अर्थ:
जो इस उत्तमोत्तम स्तोत्र को नित्य पढ़ता, स्मरण करता और उच्चरित करता है, वह निरंतर शुद्धि पाता है तथा शीघ्र ही महागुरु शिव की उत्तम भक्ति प्राप्त करता है; शिव-चिंतन देहधारियों के मोह का नाश करता है।
English Translation:
जो इस उत्तमोत्तम स्तोत्र को नित्य पढ़ता, स्मरण करता और उच्चरित करता है, वह निरंतर शुद्धि पाता है तथा शीघ्र ही महागुरु शिव की उत्तम भक्ति प्राप्त करता है; शिव-चिंतन देहधारियों के मोह का नाश करता है।
श्लोक 15
संस्कृत:
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां लक्ष्मीं सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः॥15॥
हिन्दी अर्थ:
जो प्रदोषकाल में पूजा-समाप्ति पर रावणकृत इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे शिव सदा रथ-हाथी-घोड़े-युक्त स्थिर लक्ष्मी प्रदान करते हैं।
English Translation:
Who reads this Rāvaṇa-composed hymn at pradoṣa after worship, Śambhu grants ever-stable prosperity endowed with chariots, elephants, and horses
श्लोक 16
संस्कृत:
इति श्रीरावणकृतं शिवताण्डवस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥
रावण ने यह स्तोत्र क्यों लिखा?
रावण केवल एक राक्षस राजा नहीं था; वह एक अद्भुत शिव भक्त भी था।
जब उसने कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया, तो शिवजी ने केवल अपने पैर के अंगूठे से पर्वत दबाया।
रावण का हाथ दब गया और पीड़ा के बावजूद उसने भगवान शिव की महिमा गाते हुए यह स्तोत्र गाया।
उसकी आवाज़ में इतना भक्ति भाव था कि शिवजी प्रसन्न हो गए और उसे “चन्द्रहास तलवार” तथा “अजेयता का वरदान” प्रदान किया।
यह घटना हमें सिखाती है कि
👉 सच्ची भक्ति में भी अहंकार नहीं होना चाहिए,
👉 और दर्द में भी अगर मन शिव का स्मरण करे, तो वही मोक्ष का मार्ग बन जाता है।