शिव भक्तों के लिए सावन में 5 सबसे प्रभावशाली मंत्र – जप का सही समय और विधि

शिव भक्तों के लिए सावन में 5 सबसे प्रभावशाली मंत्र – जप का सही समय और विधि

शिव भक्तों के लिए सावन में 5 सबसे प्रभावशाली मंत्र – जप का सही समय और विधि

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस पवित्र माह में शिव भक्त व्रत रखते हैं, जलाभिषेक करते हैं और मंत्रों का जाप कर शिव कृपा प्राप्त करते हैं। लेकिन मंत्र तभी फल देते हैं जब उन्हें सही विधि और सही समय पर जपा जाए।

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इस ब्लॉग में हम बताएंगे 5 सबसे प्रभावशाली शिव मंत्र, उनके जाप का सही समय, और विधि

 1. महामृत्युंजय मंत्र

मंत्र:
“ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”

फायदा:
मृत्यु भय से रक्षा करता है, जीवन शक्ति बढ़ाता है।

जप का समय:
प्रातः 4 से 6 बजे ब्रह्म मुहूर्त या रात्रि के समय एकांत में। 

विधि:

  • रुद्राक्ष की माला से 108 बार जाप करें।सफेद वस्त्र पहने और पूर्व दिशा की ओर मुख करें।
  • शांत मन से ध्यान करें।

 2. ॐ नमः शिवाय

मंत्र:
“ॐ नमः शिवाय”

फायदा:
यह पंचाक्षरी मंत्र आत्मशांति, सकारात्मक ऊर्जा और शिव की कृपा दिलाता है।

जप का समय:
दिन में कभी भी, विशेषकर सुबह स्नान के बाद।

विधि:

  • बेलपत्र चढ़ाते हुए जाप करें।
  • शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इस मंत्र का 108 बार उच्चारण करें।
  • ध्यान से और श्रद्धा से करें।

 3. रुद्र गायत्री मंत्र

मंत्र:
“ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥”

फायदा:
बुद्धि, आत्मबल और साहस में वृद्धि होती है।

जप का समय:
प्रातःकाल सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के समय।

विधि:

  • शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से जप करें।
  • कम से कम 21 बार इस मंत्र का जाप करें।

4. शिव ध्यान मंत्र

मंत्र:
“ॐ शांताय नमः” या “ॐ शिवाय नमः”

फायदा:
मन को शांति मिलती है, ध्यान केंद्रित होता है।

जप का समय:
रात को सोने से पहले।

विधि:

  • एकांत में बैठकर, आँखें बंद करके जाप करें।
  • दीपक जलाएं और धीमी ध्वनि में मंत्र बोलें।
  • जितना हो सके उतना मानसिक जाप करें।

 5. शिव तांडव स्तोत्र (संक्षिप्त)

मंत्र (शुरुआती श्लोक):
“जटाटवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्॥”

फायदा:
शक्ति, उत्साह और आत्मबल बढ़ता है। नकारात्मकता दूर होती है।

जप का समय:
सोमवार या सावन के किसी भी दिन रात्रि में।

विधि:

  • बैठकर पूरे भाव से पाठ करें।
  • इसका उच्चारण तेज और लयबद्ध होना चाहिए।
  • पूजा स्थान को दीप, धूप और फूलों से सजाएं।

कुछ आवश्यक सावधानियाँ:

  1. मंत्र जाप से पहले स्नान अवश्य करें
  2. शिवजी को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र, दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें
  3. मन में श्रद्धा और विश्वास होना अनिवार्य है।
  4. जाप की संख्या धीरे-धीरे बढ़ाएं – शुरू में 11, फिर 21, और फिर 108

निष्कर्ष:

सावन का महीना शिव आराधना के लिए सबसे श्रेष्ठ माना गया है। यदि आप इन मंत्रों का जाप नियमित रूप से, सही समय और विधि के अनुसार करें, तो जीवन में सुख, शांति और शक्ति का संचार होगा। 

हर हर महादेव!

 

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