बूढ़ा केदार का इतिहास क्या है? History of Buda Kedar Temple - Skmystic Blogs
Rahul Rana
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बूढ़ा केदार मंदिर: भारतीय संस्कृति की शानदार धरोहर
धर्म और आस्था हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। भारतीय संस्कृति में विभिन्न धार्मिक स्थलों का अद्भुत समृद्धान्त रहा है। भारतीय प्राचीनता में स्थापित एक ऐसा पवित्र स्थान है, जो धार्मिकता, संस्कृति और कला की एक अद्वितीय जुबान बोलता है - वह है "बूढ़ा केदार मंदिर"। इस मंदिर का स्थान उत्तराखंड राज्य के टिहरी जिले में स्थित है। यह स्थान हजारों यात्रियों को आकर्षित करने वाला है जो अपनी आत्मिक प्राथमिकता को ध्यान में रखते हैं।
यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसकी नींव 8वीं शताब्दी में रखी गई थी। यह मंदिर थाती कठूड क्षेत्र में स्थित है, जो बाल गंगा और धर्म गंगा नदी के जोड़ पर बसा है । इसके आस-पास एक शानदार पर्यटन स्थल है, जो प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाता है और यात्रियों को शांति और आत्मिक आनंद का अनुभव कराता है।
भारतीय उपमहाद्वीप में अनेकों पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है बुदा केदार मंदिर। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका महत्व अनेक कारणों से हिंदी में विशेष रूप से उजागर किया जा सकता है।
पवित्रता का स्थान: बुदा केदार मंदिर धार्मिकता और आस्था का प्रतीक है। इसे एक पवित्र तीर्थस्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है और यहां भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। लोग यहां आते हैं और अपनी मानसिक और आध्यात्मिक संतुष्टि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
पौराणिक महत्व: इस मंदिर का पौराणिक महत्व भी बहुत उच्च है। यहां की कथा में कहा जाता है कि यहीं पर भगवान शिव ने भगवान विष्णु की पूजा की थी और उन्हें अपने बाल बाकी रखे हैं। इसलिए इसे भगवान विष्णु के भी एक स्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है।
Buda Kedar Mandir उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह प्राचीन मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है और इसका इतिहास विशेष महत्वपूर्ण है।
मंदिर के निर्माण का श्रेय पांडवो को को प्राप्त है। मान्यता के अनुसार, महाभारत काल में पांडव जब अपनी पितृ हत्या और कुल हत्या के पाप से बचने के लिए भगवन शिव की तलाश में निकले थे तब यहाँ भगवन शिव पांडवो को वृद्ध स्वरुप में दिखाई दिए थे उन्हें यहां भगवान शिव के दिव्य दर्शन का आनंद मिला। उन्होंने यहां एक प्राचीन मंदिर की नींव रखी थी, जिसे बाद में विभिन्न कालों में सुधारा और सम्पूर्ण रूप से स्थापित किया गया।
Buda Kedar Mandir का पुनः निर्माण अदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया और इसका जीर्णोद्धार करवाया । इसके निर्माण में स्वयं अदि गुरु शंकराचार्य ने अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन किया और उत्तराखंड के स्थानीय लोगों की सहायता भी मिली। मंदिर का निर्माण विशेष तकनीक के साथ किया गया है और इसमें पत्थर और शिल्पकला का उपयोग किया गया है।
इस मंदिर का विशेषता यह है कि इस शिवलिंग में पांच पांडवो सहित द्रौपदी और शिव पारवती के चित्र गुथे है , यहां के गुरुकुल में पुराने धार्मिक ग्रंथों की रखरखाव की जाती है और यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
इस मंदिर के आसपास कई तीर्थस्थल और पर्यटन स्थल स्थित हैं। Buda Kedar से महासर ताल , सहस्त्र ताल , मंझाड़ा ताल , जरल ताल , बालखिल्य आश्रम , त्रियुगी नारायण से केदारनाथ तक की पैदल यात्रा की जाती है
। यहां के वन्य जीव और पक्षी बाग़-बाग़ीचे दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते हैं। बुदा केदार क्षेत्र में हरिद्वार, रिशिकेश, बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री जैसे पवित्र स्थल जाने के लिए सारी सुविधाएं और वहां उपलब्ध हो जाते है
बुदा केदार मंदिर का प्रमुख पुजारी इसकी पूजा-अर्चना और मंदिर की रखरखाव की जिम्मेदारी निभाता है। उन्हीं की मार्गदर्शन में श्रद्धालु मंदिर में पूजा करते हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते
ये कुछ महत्वपूर्ण पौराणिक मान्यताएं हैं जो buda kedar mandir के साथ जुड़ी हुई हैं।
कैसे पड़ा बूढ़ा केदार का नाम?
हम सभी जानते है बूढ़ा मतलब वृद्ध स्वरुप से है , इसीलिए इस जगह को वृद्ध केदारेश्वर के नाम से भी जाना जाता है , चूकि यहाँ भगवन शिव ने पांडवो को यहां वृद्ध रूप में दिखाई दिए थे तभी से यहाँ शिव वृद्ध केदारेश्वर स्वरुप में यहाँ विराजमान है , यहाँ पर केदारनाथ शैली का शिवलिंग उपस्थित है जो मान्यताये केदारनाथ की है वही मान्यताये इस जगह की भी मानी जाती है क्युकी पांडवो को शिव ने यहाँ भी दर्शन दिए थे लेकिन अपने असली स्वरुप में नहीं , बूढ़ा केदार में जो शिवलिंग है उसकी गहराई अभी तक चर्चाओं का विषय है , कोई भी वैज्ञानिक अभी तक इस शिवलिंग की गेहरानी नहीं बता पाया है , इसी वजह से यहाँ के लोग केदारनाथ नहीं जाते क्युकी उनको केदार स्वरुप के दर्शन यही मिल जाते है।
भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहरों में आपको रथी देवता, धारी देवी , कोटेश्वर मंदिर जैसे अनगिनत मंदिर देखने को मिलेंगे जो आपको भारतीय इतिहास को समझने में कारगर साबित होंगे |
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2 comments
Nice history to the buda kedar
Nice